Class 10th Sanskrit All Subjective Question Download 2025
बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 के लिए यहां पर क्लास 10th संस्कृत का प्रश्न उत्तर दिया गया है। इस पोस्ट की मदद से आप लोग क्लास 10th संस्कृत का लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न भी डाउनलोड कर सकते हैं सभी प्रश्न परीक्षा की दृष्टि से काफी ही महत्वपूर्ण है इसी प्रश्न में से प्रश्न परीक्षा में पूछे जाएंगे।
Bihar Board Class 10th Sanskrit Subjective Question 2025 Download
1. पाटलिपुत्र नगर के वैभव का वर्णन करें।
अथवा, ‘पाटलिपुत्र वैभवम्’ पाठ के आधार पर पटना के वैभव का वर्णन पाँच वाक्यों में करें। चन्द्रगुप्त मौर्य के काल में पाटलिपुत्र की रक्षा व्यवस्था कैसी थी ?
उत्तर—पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से ही अपनी वैभव परम्परा के लिए विख्यात रही है। विदेशी यात्री ने संस्मरणों में यहाँ की अनेक उत्कृष्ट सम्पदाओं का वर्णन किया है। मेगास्थनीज ने लिखा है कि चन्द्रगुप्तमौर्य काल में यहाँ की शोभा और रक्षा व्यवस्था अति उत्कृष्ट थी। अशोक काल में यहाँ निरन्तर समृद्धि रही। कवि राजशेखर ने अपनी रचना काव्यमीमांसा में ऐसी ही बात लिखी है। यहाँ बड़े-बड़े कवि-वैयाकरण भाष्यकार (परीक्षित) हुए।
आज पाटलिपुत्र नगर ‘पटना’ के नाम से जाना जाता है। जहाँ संग्रहालय, गोलघर, जैविक उद्यान इत्यादि दर्शनीय स्थल हैं। इस प्रकार पाटलिपुत्र प्राचीनकाल से आज तक विभिन्न क्षेत्रों में वैभव धारण करता है। इसका संकलित रूप संग्रहालय में देखने योग्य है।
2. महान् लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं?
उत्तर—महान लोग अपने को अज्ञानी तथा अन्य विद्वान को ज्ञानी समझकर संसार रूपी सागर से पार कर जाते हैं। अर्थात् महान व्यक्ति अपने नाम को छोड़कर उस दिव्य श्रेष्ठ पुरुष (ब्रह्म) को प्राप्त कर लेता है।
3. प्राचीन ग्रन्थों में पटना के कौन-कौन से नाम मिलते हैं?
उत्तर — पटना में गुप्तवंश के शासन काल में कौमुदी महोत्सव मनाया जाता था। यह उत्सव शरत् काल में मनाया जाता था। कौमुदी महोत्सव में सभी लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते थे एवं आनंदमय होते थे।
5. राजशेखर ने पटना के सम्बन्ध में क्या लिखा है?
उत्तर—कवि राजशेखर ने काव्यमीमांसा नामक कवि शिक्षा प्रमुख अपने ग्रन्थ में सादर स्मरण करते हुए लिखा है कि यहाँ वर्षोपवर्ष, पाणिनि, पिङ्गल, व्याङि वररूचि तथा पतञ्जली आदि ने महान योगदान देकर ख्याति को प्राप्त किया।
6. पटना के मुख्य दर्शनीय स्थलों का नामोल्लेख करें।
उत्तर—पटना में ‘गाँधी सेतु’ नामक पुल (जो एशिया का सबसे लम्बी पुल), संग्रहालय, उच्च न्यायालय, सचिवालय, गोलघर, तारामण्डल, जैविक उद्यान, मौर्यकालिक अवशेष, महावीर मंदिर तथा गुरूगोविन्द सिंह का जन्म स्थान गुरूद्वारा आदि दर्शनीय स्थल हैं; जिसे देखने के ख्याल से विदेशी सदैव आते हैं।
7. “अलसकथा” में किसका वर्णन है?
अथवा, अलस-कथा’ पाठ के लेखक कौन हैं तथा उस कथा से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर— मैथिली कवि विद्यापति रचित “अलसकथा” में आलसियों के उत्तर—मैथिली माध्यम से शिक्षा दी गयी है कि उनका भरण-पोषण करुणाशीलों के बिना सम्भव नहीं है। आलसी काम नहीं करते, ऐसी स्थिति में कोई दयावान् ही उनकी व्यवस्था कर सकता है। अतएव आत्मनिर्भर न होकर दूसरे पर वे निर्भर हो जाते हैं।
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8. संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर—’संस्कृतसाहित्ये लेखिका:’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आजतक महिलाओं ने संस्कृतसाहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृतसाहित्य को समृद्ध बनाया। / इससे स्पष्ट है कि लेखक के विचार में महिलाओं का संस्कृतसाहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
9. संस्कृत में पण्डिता क्षमाराव के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर—आधुनिक काल में लेखिकाओं में पण्डिता क्षमाराव का नाम प्रसिद्ध है। उनके द्वारा अपने पिता शंकर पाण्डुरंग के महान विद्वता का जीवन चरित (शङ्कर रचित) को पूरा किया। गाँधी-दर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रहगीता, मीरा लहरी, कथामुक्तावली, विचित्र परिषद्यामा, तथा ग्रामज्योति जैसे अनेक ग्रन्थों को लिखा। ये सभी लेखन इनके उदारपूर्ण योगदान का परिचायक हैं।
10. भारत महिमा पाठ के आधार पर भारत भूमि कैसी है? अथवा, भारतीय लोगों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
उत्तर—भारत भूमि पुत्रवत्सला है। यहाँ की नदियाँ पवित्र हैं। यहाँ विभिन्न धर्म, जाति एवं भाषा के लोग आपसी मेल-जोल से रहते हैं। भारत का वातावरण शांत एवं उल्लासमयी है। यहाँ गंगा जमुना तरजीव है। अनेकता में एकता इसकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता है।
11. शैशव संस्कारों पर प्रकाश डालें।
उत्तर- संस्कारों में शैशव संस्कार सर्वोत्तम है। यह संस्कार मनुष्यों के भविष्य का आधारशीला होता है। इनके अंतर्गत जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म तथा कर्णवेध कुल छः संस्कार होते हैं।
12. शैक्षणिक संस्कार कौन-कौन से हैं?
उत्तर- शैक्षणिक संस्कारों में अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त तथा समावर्त्तन संस्कार होते हैं।
13. केशान्त संस्कार को गोदान संस्कार भी कहा जाता है, क्यों?
उत्तर – केशान्त संस्कार में गुरू गृह में ही शिष्य का प्रथम क्षौरकर्म मुण्डन होता था। इसमें गोदान मुख्य कर्म होता था। अतः साहित्य ग्रन्थों में इसका दूसरा नाम गोदान संस्कार भी कहा जाता है।
14. संस्कार कितने होते हैं? विवाह संस्कार का वर्णन करें।
अथवा, ‘भारतीयसंस्काराः पाठ के आधार स्पष्ट करें कि संस्कार कितने हैं? विवाह संस्कार का वर्णन करें।
उत्तर – संस्कार सोलह हैं। विवाह संस्कार के उपरांत ही मनुष्य वस्तुत: गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह पवित्र संस्कार है जहाँ विविध विधान कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान ( वचनबद्धता), मण्डप निर्माण (मँडवा), वधू के घर पर वरपक्ष को स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण (हाथ देना), लाजाहोम ( धान के लावे से हवन ), सप्तपदी (सात वचनों से फेरे), सिन्दूरदान इत्यादि। सभी जगह प्रायः विवाह-संस्कार का आयोजन होता है। तदनन्तर गर्भाधान इत्यादि संस्कार पुनरावृत्त होकर जीवनक्रम घूमता है। मरण के अनन्तर अन्त्येष्टि संस्कार अनुष्ठित होता है। इस प्रकार भारतीय दर्शन का महत्त्वपूर्ण स्रोत स्वरूप संस्कार है।
15.नीतिश्लोकाः के आधार पर मूढचेता नराधम के लक्षण लिखें।
उत्तर — बिना बोले प्रवेश करने वाला बिना पूछे बहुत बोलने वाला, अविश्वासी व्यक्ति नराधम है। ऐसे नराधम से सदा दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसा व्यक्ति धोखेबाज हो सकता है।
16.नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर पण्डित के कौन-कौन से गुण हैं? अथवा, पण्डित किसे कहा जाता है?
उत्तर—नीतिश्लोकाः पाठ में पण्डित के गुण इस प्रकार हैं— (i) जिसका कार्य, शीत, उष्ण, भय, रति, समृद्धि अथवा असमृद्धि विघ्न नहीं होता, वह व्यक्ति पंडित है। (ii) सभी जीवों का तत्वज्ञ, कर्मों का योगज्ञ एवं सभी मानवों का उपाज्ञय व्यक्ति पण्डित कहलाता है।
17.नीतिश्लोकाः पाठ के आधार पर मूर्ख का लक्षण लिखें।
उत्तर— नीतिश्लोक के अनुसार जो बिना बुलाये प्रवेश करता है, बिना पूछे बहुत बोलता है। अविश्वसनीय व्यक्ति पर विश्वास करता है। वह मूर्ख हृदय वाला ही नराधम (अधम नर) व्यक्ति कहा जाता है।
18. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया?
उत्तर – स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के संकलन के लिए सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ राष्ट्रभाषा में रचकर अपने अनुयायियों का उपकार किया। वेदों के प्रति सभी धर्मानुयायियों का ध्यानाकर्षण करते हुए स्वयं वेद भाष्यों को संस्कृत – हिन्दी भाषा में लिखा। प्राचीन शिक्षा में दोष दिखाकर नई शिक्षा पद्धति देने हेतु DAV विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा की गंदगी को दूर किया। इस प्रकार इन्होंने समाज के प्रवर्तन में विशेष भूमिका निभाई।
19. स्वामी दयानन्द समाज सुधारक थे, कैसे? पाँच वाक्यों में उत्तर दें।
उत्तर—स्वामी दयानन्द ने समाज की कुरीतियों को दूर कर सुधारात्मक कार्य किया। इन्होंने जातिवाद की विषमताओं को हटाया। छूआछूत की परम्परा को दूर किया। स्त्रियों की हो रही दुर्दशा को टोका । स्त्री-शिक्षा को बढ़ावा दिया और विधवा- स्थिति सुधारी ।
20. स्वामी दयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने? अथवा, महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उद्बोधक कैसे बना?
उत्तर—स्वामी दयानन्द के घर शिवरात्रि महोत्सव था। रात्रि में उन्होंने मूर्ति पर चूहों को टहलते देखा। उसी दिन से उनके मूर्ति पूजन के प्रति विरक्ति हो गई।
21.कर्णस्य दानवीरता पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। अथवा, कर्ण की दानवीरता या चरित्र का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर – यह पाठ संस्कृत के प्रथम नाटककार भास द्वारा रचित कर्णभार नामक एकांकी रूपक से संकलित है। इसमें महाभारत के प्रसिद्ध पात्र कर्ण की दानवीरता दिखाई गयी है। इन्द्र कर्ण से छलपूर्वक उनके रक्षक कवचकुण्डल को मांग लेते हैं और कर्ण उन्हें दे देता है। कर्ण बिहार के अङ्गराज्य (मुंगेर तथा भागलपुर) का शासक था। इसमें संदेश है कि दान करते हुए मांगने वाले की पृष्ठभूमि जान लेनी चाहिए, अन्यथा परोपकार विनाशक भी हो जाता है।
22. ‘व्याघ्रपथिक कथा’ के आधार पर बताएँ कि दान किसको देना चाहिए?
उत्तर—शास्त्रों के अनुसार दान देने का विधान है, परन्तु जिस किसी को बिना सोच-विचार कर दिया गया दान सफल नहीं होता है। अतः व्याघ्रपथिक कथा के आधार पर देश काल के अनुसार बिना उपकार के, योग्य पात्र को दिया गया दान सात्विक कहा गया है।
23. ‘ज्ञानं भारः क्रियां बिना यह उक्ति व्याघ्र पथिक कथा पर कैसे चरितार्थ होती है?
उत्तर—जब बाघ के द्वारा पथिक पकड़ लिया गया तब वह सोचने लगा कि जिसकी इन्द्रियाँ वश में नहीं होती उसकी क्रिया हाथी के स्नान की तरह निरर्थक होती है। दुर्भाग्यशाली लोगों का ज्ञान प्रायः क्रिया के बिना भार स्वरूप हो जाता है।
24. विश्व अशान्ति का क्या कारण है? तीन वाक्यों में उत्तर दें।
उत्तर—विश्व अशान्ति के प्रमुख दो कारण-द्वेष और असहिष्णुता है। तदनन्तर जातिवाद, धर्मवाद उक्त दो कारणों से पनपे हुए अन्य कारण माने जा सकते हैं। अशान्ति प्रसारित करने में स्वार्थपरक राजनीतिज्ञों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।।
25. ‘कर्णस्य दानवीरता’ पाठ के आधार पर इन्द्र के चरित्र की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर – कर्ण ब्राह्मण वेशधारी इन्द्र को विनम्रतापूर्वक सर्वप्रथम भौतिक वस्तुएँ प्रदान करना चाहते थे यथा— गौ, हाथी, घोड़े, पृथ्वी। यहाँ तक कि अपने अग्निष्टोम फल भी देना चाहते हैं और अन्ततः अपना सिर तक अर्पित करने के लिए उद्यत हो उठते हैं। परन्तु ब्राह्मणवेशधारी शक्र (इन्द्र) तो दृढ़ संकल्पित कुछ अन्य वस्तु के प्रति थे । कर्ण उनके मनोदशा को समझकर अपने वचन रक्षार्थ शरीर से जुड़े कवच-कुण्डल को दान दे देते हैं। इतना बड़ा दान कर्ण को सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का दानवीर सिद्ध करता है।
26.वेदांग कितने हैं? सभी का नाम लिखें। उत्तर—वेदांग छ: हैं— शिक्षा, कल्प, व्यावरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष |
27.वेदाङ्ग कितने हैं? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें। अथवा, वैज्ञानिक शास्त्रों का परिचय दें।
उत्तर – वेदांग छः हैं—शिक्षा, कल्प, व्यावरण, निरूक्त, छन्द और ज्योतिष । सांख्य के प्रवर्तक कपिल, योग दर्शन के पंतजलि, न्याय
दर्शन के गौतम, वैशेषिक दर्शन के कणाद, मीमांसा दर्शन के जैमिनि एवं वेदांत दर्शन के प्रवर्तक बादरायण हैं।
Subject | Sanskrit 10th |
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