25 June 12th Hindi Question Paper Quarterly Exam 2025

25 June 12th Hindi Question Paper Quarterly Exam 2025

Subject 12th Hindi 
Exam Date  25.6.2025
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Bihar Board 12th Quarterly Exam Hindi हिन्दी Question Paper 2025 Download

बिहार बोर्ड कक्षा 12वीं त्रैमासिक परीक्षा 2025 | रूटिन प्रश्नपत्र और सिलेबस देखें:-

Bihar Board 12th Quarterly Exam 2025 June 2025-26

जितने भी छात्र-छात्राएं 12th की वार्षिक परीक्षा 2026 में सम्मिलित होने जा रहे हैं। उसे पहले उनको June महीने त्रैमासिक परीक्षा देना होगा। 

कितने सिलेबस से प्रश्न रहेंगे Quarterly Exam 2025 Syllabus

कक्षा 12th के त्रैमासिक परीक्षा 2025 का प्रश्न पत्र आपके विद्यालय में जून माह तक पढ़ाए गए पाठ से प्रश्न आएगा

इस परीक्षा में फेल करने पर क्या होगा ?

क्योंकि यह विद्यालय के स्तर पर आयोजित होने वाली एकमात्र मासिक जांच परीक्षा है। इसलिए इस परीक्षा में भाग लेना अनिवार्य है हालांकि इस परीक्षा में भाग लेना अनिवार्य है। और इसका अंक annual एग्जाम 2026 में नहीं जोड़े जाएंगे।

 त्रैमासिक परीक्षा Exam 2025-EXAM CENTER

इस परीक्षा का आयोजन आपके विद्यालय के स्तर पर होगा। अर्थात की जिस भी विद्यालय में आपका नामांकन है। उसी में जाकर आपको परीक्षा देना पड़ेगा ।

Class 12th Admit Card Quarterly Exam 2025

इस परीक्षा के लिए बिहार बोर्ड के तरफ से कोई भी ऑफिशियल एडमिट कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। क्योंकि यह आपके विद्यालय के स्तर पर आयोजित होने वाला एकमात्र आंतरिक जांच परीक्षा है।

त्रैमासिक परीक्षा नहीं देंगे तो क्या होगा ?

बोर्ड ने साफ सुथरे शब्दों में सभी विद्यालय को निर्देश दिया हैं, यदि कोई छात्र/छात्रा परीक्षा में शामिल नहीं होंगे तो उनको किसी भी परिस्थिति में फाइनल परीक्षा में भाग नहीं ले सकते हैं 

क्या त्रैमासिक परीक्षा के कॉपी Check होता हैं?

जी हां, जब आपकी परीक्षा सम्पन्न हो जाती हैं, तब आपके कॉपी को आपके विद्यालय/कॉलेज के शिक्षकों के द्वारा चेक की जाती हैं। तथा इसका फाइनल रिजल्ट बोर्ड ऑफिस को भेजा भी जाता हैं।

त्रैमासिक परीक्षा का महत्व

यदि आप भी कक्षा 12वी की त्रैमासिक परीक्षा देने जा रहे हैं या देने वाले हैं तो आप सभी को इस परीक्षा में भाग लेना अति आवश्यक है त्रैमासिक परीक्षा का उद्देश्य छात्रों की आगे की कक्षा में प्रवेश करने से पहले उसकी तैयारी को जांच किया जाए और तैयारी को बेहतर किया जाए ताकि वह आगे परीक्षा में किसी भी प्रकार में उनको दिक्कत ना हो और उनको जो भी कमजोरी है वह उसको सुधार सके इसलिए त्रैमासिक परीक्षा लिया जाता है 

Class 12th Quarterly Exam Hindi Objective Answer Key 2025

1.D 11.C 21.A 31.D 41.A
2.B 12.B 22.D 32.D 42.D
3.D 13.A 23.C 33.A 43.B
4.C 14.D 24.A 34.B 44.B
5.D 15.B 25.B 35.C 45.A
6.A 16.A 26.C 36.D 46.A
7.A 17.D 27.B 37.C 47.B
8.C 18.B 28.B 38.C 48.B
9.D 19.D 29.D 39.B 49.C
10.B 20.D 30.C 40.C 50.D

Download Subjective Question

2. निम्नलिखित में से किसी एक अवतरण की सप्रसंग व्याख्या करें :

1. “सच हैं जबतक मनुष्य बोलता नहीं, तब तक उसका गुण दोष प्रकट नही होता”

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति बालकृष्ण भट्ट रचित बातचीत शीर्षत पाठ से लिया गया है, जिसमें लेखक ने बातचीत के महत्त्व को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। भाषा या अभिव्यक्ति के आधार पर ही व्यक्ति के व्यक्तित्व या गुण-दोष की पहचान होती है। बोलने पर ही व्यक्ति की अच्छाई या बुराई का पता चल पाता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि, सच हैं जबतक मनुष्य बोलता नहीं, तब तक उसका गुण दोष प्रकट नही होता।

 

(ii) “जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते ।”

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति चंद्रधर शर्मा गुलेरी रचित उसने कहा था शीर्षत पाठ से लिया गया है। वजीरा सिंह के इस कथन का आशय है की वहां युद्ध के मैदान में अत्यधिक ठंडा पड़ रही है जिसके कारण ऐसा लगता है कि मानो उसकी जान ही निकल जाएगी। वजीरा सिंह लहना सिंह से कहता है कि रात भर तुम अपने दोनों कंबल बोधा सिंह को उढ़ाते हो और आपने सिगड़ी के सहारे गुजर करते हो। उसके पहरे पर खुद जाकर पहरा दे आते हो । अपने सूखे लकड़ी के तख्तों पर उसे सुलाते हो और आपने कीचड़ में पड़े रहते हो। कहीं तुम न माँदे पड़ जाना । और तब वजीरा सिंह कहता है “जाड़ा क्या है, मौत है और ‘निमोनिया’ से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते ।” मतलब कि इस ठंड की स्थिति में इतने लोगो को निमोनिया हो रहा है उन्हें मरने के लिए स्थान भी नही मिल रहा है।

 

(iii) “जो रस नंद-जसोदा विलसत, सो नहिं तिहूँ भुवनियाँ ।

भोजन करि नंद अचमन लीन्हौ, माँगत सूर जुठनियाँ ।।”

 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग 2 के सूरदास के पद कविता से लिया गया है। यह कविता सुरसागर से संकलित है जिसमे सूरदास जी मातृ पितृ स्नेह का भाव प्रदर्शित कर रहे हैं। श्री कृष्ण नंद की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है। इस दिव्य क्षण का जो आनंद नंद और यशोदा को मिल रहा है यह तीनों लोको मे किसी को प्राप्त नहीं हो सकता। भोजन करने के बाद नंद और श्री कृष्ण कुल्ला करते है और सूरदास उनका जूठन मांग रहे है।

 

3. विद्यालय में प्रथम स्थान से उत्तीर्ण होने पर अपने छोटे भाई को एक बधाई-पत्र लिखें ।

 

उत्तर –

प्रिय छोटे भाई रंजन,

स्नेहपूर्वक नमस्कार।

पटना

25 जून 2025

आज ही तुम्हारे विद्यालय से समाचार मिला कि तुमने अपनी 12वीं कक्षा में पुरे बिहार में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यह जानकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई और हृदय गर्व से भर उठा। मेरी तरफ़ से तुम्हें इस शानदार उपलब्धि के लिए ढेर सारी बधाइयाँ! तुम्हारी मेहनत, लगन और नियमित पढ़ाई का यह फल तुम्हें मिला है। तुमने न सिर्फ़ अपने माता-पिता और गुरुजनों का नाम रोशन किया है, बल्कि अपने बड़े भाई का सिर भी गर्व से ऊँचा कर दिया है। मुझे पूरा विश्वास है कि तुम आगे भी इसी तरह परिश्रम करते रहोगे और जीवन में और भी ऊँचाइयों को प्राप्त करोगे। पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और अच्छे आचरण पर भी ध्यान देते रहना। फिर मिलेंगे, तब तुम्हें एक अच्छा-सा उपहार दूँगा।

पुनः बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारा प्यार।

तुम्हारा बड़ा भाई 

 

4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर दें :

(i) कविता में तुक का क्या महत्त्व है ?

उत्तर- तुक से तात्पर्य होता है समान वर्ण अथवा समान ध्वनि का अन्त में प्रयोग। यथा- कबीर पद में ‘गाए’ और ‘दिखाए’ तथा ‘साखी-भाषी’ एवं ‘भनी दर्शनी’। ये तुक काव्य में सरसता समाहित कर देता है, गीति तत्व को उभार देता है। लयात्मकता भी प्रखर हो जाती है और काव्य सुनने में या पढ़ने में आनन्द देता है।

 

कबीर के पदों में तुकों की महत्ता हम दिखा ही चुके हैं। सूर के पद में भी यह विशेषता पायी जाती है ‘भारी-धारी’ दोनों तुक ही हैं। उसी प्रकार अन्तिम दो पंक्तियों में ‘धेरै’ ‘सरै’ भी तुक ही है जिनके प्रभाव से काव्य में सरसता समाहित हो गयी है।

 

(ii) भक्तकवि तुलसीदास को किस वस्तु की भूख है ?

उत्तर- तुलसी की भूख बड़ी प्रबल है वह है भक्ति-रूपी अमृत के समान उत्तम भोजन की, अतः तुलसी यही प्रार्थना करते हैं कि हे प्रभु! अपने चरणों में स्थान देकर मुझे प्रबल शक्ति प्रदान करने की कृपा करें ताकि कलिकाल के प्रभाव से रक्षा हो सके।

(iii) सूरदास रचित पद में गायें किस ओर दौड़ पड़ीं ?

उत्तर – भोर हो गयी है, दुलार भरे कोमल मधुर स्वर में सोए हुए बालक कृष्ण को भोर होने का संकेत देते हुए जगाया जा रहा है। प्रथम पद में भोर होने के संकेत दिए गए हैं- कमल के फूल खिल उठे है, पक्षीगण शोर मचा रहे हैं, गायें अपनी गौशालाओं से अपने-अपने बछड़ों की ओर दूध पिलाने हेतु दौड़ पड़ी ।

(iv) ‘मुहमद यहि कवि जोरि सुनावा ।’ यहाँ कवि जायसी ने ‘जोरि’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है ?उत्तर जोड़ी का अर्थ जोड जोड़कर है कवि ने जोड़ी का प्रयोग कई कथाओ को जोड़ जोड़कर और कई शब्दों को जोड़- जोड़कर यह कथा लिख रहा हूँ की अर्थ में किया है।

 

(v) नाभादास के अनुसार कबीर ने भक्ति को कितना महत्त्व दिया ?

उत्तर – कबीर ने भक्ति को सर्वोपरि माना है। वह कहते है जो व्यक्ति भक्ति विमुख है, उसका सारा धर्म अधर्म ही है, भक्ति-विमुख व्यक्ति धर्म का आचरण कर ही नहीं सकता। उसकी मान्यता है, संसार के अनेक साधन हैं। योग है, व्रत हैं, दान है पर सभी भक्ति के बिना तुच्छ ही हैं, व्यर्थ ही हैं, सर्वोपरि भक्ति ही है, वही महत्वपूर्ण है, ईश्वर प्राप्ति का सबसे आसान साधन है।

 

 

5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दें :

(i) सूर के काव्य की किन विशेषताओं का उल्लेख कवि नाभादास ने किया है ?

उत्तर – सूर के काव्य की इन विशेषताओं का उल्लेख कवि ने किया है। सूर के जो काव्य है वो चमत्कार और अनुप्रास से भरे होते हैं। इनकी भाषा तुकधारी होती है। सूर जो है वो कृष्ण भक्त हैं और कृष्ण की जितनी भी लीलाये हैं, उसे उन्हें अपने काव्य में दर्शाया है। कृष्ण के जन्म, कर्म, लीला, गुण और रूप आदि को ही सुर अपने कविताओं में लिखते हैं। कवि नाभादास के अनुसार जो भी सूर के काव्य को सुनता है, उनकी बुद्धि विमल हो जाती है।

 

(ii) राम स्वभाव से कैसे हैं, पठित पदों के आधार पर बताइए ।

उत्तर- राम का स्वभाव अति कृपालु है। यह तुलसी द्वारा प्रमाणित भी हो रहा है। जब तुलसी ने भयभीत होकर सन्त समाज से पूछा कि ऐसा कौन है, जो मुझ जैसे उ‌द्यमहीन को भी शरण दे सकेगा, तो सन्तों ने यही उत्तर दिया कि एक कौशलपति महाराज श्रीरामचन्द्र जी हैं जो ऐसे उद्यमहीन व्यक्तियों को भी शरण दे सकते हैं। राम का स्वभाव ही है पतितों पर दया करना और यह सन्तों के कथन से प्रमाणित भी हो उठता है।

 

6. निम्नलिखित अवतरण का संक्षेपण कीजिए:

दुःख का एक बहुत बड़ा कारण अपने-आप में डूबे रहना है। हमेशा अपने विषय में सोचते रहना हम यों करते, तो यों होते, वकालत पास करके मिट्टी खराब की। इससे कहीं अच्छा होता कि नौकरी कर ली होती। अगर नौकरी है तो पछतावा है कि वकालत क्यों नहीं की। लड़के नहीं हैं, तो फिक्र है कि लड़के कब होंगे। लड़के हैं तो रो रहे हैं कि ये क्यों पैदा हुए। ये कच्चे-बच्चे न होते, तो कितने आराम से जिंदगी कटती। बहुतेरे ऐसे हैं, जो अपने वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट हैं।

 

उत्तर-

शीर्षकः आत्मकेंद्रिता ही दुःख का कारण हर समय अपने बारे में सोचते रहना ही दुःख का मूल कारण है। व्यक्ति अपने फैसलों से संतुष्ट नहीं होता और हर स्थिति में कमी महसूस करता है। यही आत्मकेंद्रिता उसे हमेशा दुखी बनाए रखती है।

 

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